सर्वांगासन की विधि, फायदे, और सावधानियांँ ।

सर्वांगासन की विधि, फायदे, और सावधानियांँ ।

सर्वांगासन कैसे करें ? 

Step by Step Sarvangasana (Shoulder Stand Pose) in hindi 



क्या है सर्वांगासन ? 

सर्वांगासन की विधि ? 

सर्वांगासन करने के लाभ? 

सर्वांगासन मैं कौन कौन सी सावधानियांँ बरतनी चाहिए ? 

सर्वांगासन करने की सही की विधि व कृति ।


Sarvangasana shoulder stand pose step by step in hindi



विवेचन / परिचय :-


यह आसन शरीर के सभी अंगों पर असर करता है इसलिए इसे "सर्वांगासन" करते हैं।

इस आसन का अभ्यास से हमें हमारे शरीर के सभी अंगों की मसाज होती है। अतः इसे "सर्वांगासन" shoulder stang pose कहते हैं।



कृति /विधि :-


  1. सर्वप्रथम पीठ के बल लेट जाइए। 
  2. दोनों हाथ सीधे जंघाओं के अगल-बगल में रखें। 
  3. अब घुटनों से बिना मोड़ते हुए पैरों को ऊपर उठाना है। सबसे पहले 30 डिग्री फिर 60 डिग्री और 90 डिग्री तक पैरों को ऊपर उठाये। 
  4. कमर को ऊपर उठाकर दोनों पैर सिर के पीछे की और ले जाइए। 120 डिग्री। फिर पीठ पर दोनों हथेलियों को रखते हुए शरीर को ऊपर उठाना है। जब तक ठुड्डी छाती से लग ना जाए।
  5. अंतिम अवस्था में सामान्य श्वसन करें। 
  6. फिर जिस प्रकार से जिस क्रम से आप गए थे उसी क्रम से फिर वापस आ जाए।


लाभ / फायदे :-


  • सर्वांगासन का अभ्यास करने से हमारे पाचन क्रिया, कब्ज और बवासीर में बहुत ही सुधार आता है। 
  • ह्रदय की श्वसन क्षमता भी बढ़ती है। 
  • जननेंद्रिय के विकार, हर्निया, व्हेरिकोज व्हेन्स आदि पर उपयुक्त है।
  • असमय में हुए वार्धक्य के लक्षण को दूर करता है। 
  • इससे स्मरण शक्ति में विकास भी होता है और हमारे मस्तिष्क में रक्त परिसंचरण का प्रवाह अच्छी तरह से होने से हमारा ब्रेन और एक्टिव होता है और हमारी याद शक्ति बहुत बढ़ती है। 
  • एकाग्रता में वृद्धि होती है।


सावधानियांँ / क्या न करें :-


  • जिस व्यक्ति को उच्च रक्तचाप हो, हाई ब्लड प्रेशर हो उसे इस आसन का अभ्यास नहीं करना चाहिए । 
  • बढ़ी हुई थायरॉयड ग्रंथि, यकृत या प्लीहा, सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस, स्लिप डिस्क, ह्रदय रोग, नेत्रों में दुर्बल रक्त वाहिकाओं, शिरावरोह या अशुद्ध रक्त - दोष से ग्रस्त व्यक्तियों को यह आसन नहीं करना चाहिए। 
  • मासिक - धर्म और गर्भावस्था के अंतिम दिनों में इस आसन को न करें। 
  • एक योग विशेषज्ञ की सलाह-सूचन के मार्गदर्शन के अनुसार ही योगाभ्यास करें।