योग का लक्ष एवं उद्देश Aim and Objective Of Yoga

योग का लक्ष एवं उद्देश Aim and Objective Of Yoga

योग का लक्ष एवं उद्देश ( Aim and Objectives Of Yoga ) 
What is Aim and Objectives of Yoga

योग के लक्ष्य और उद्देश्य

योग का प्रमुख उद्देश्य क्या है ?

योग के लाभ क्या है ? 

योग का क्या लक्ष्य है ?

योग का असली लक्ष्य (main aim of yoga) 

अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस का उद्देश्य क्या है ? 

योग का उद्देश्य क्या है ? 

क्यू सदियों पुराने योग का इतना बड़ा महत्व ? 

क्या योग से शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक स्तर पर  विकास किया जा सकता है? 

योग का लक्ष एवं उद्देश  Aim and Objective Of Yoga


योग के लक्ष प्रति अनेक मत - भिन्नताएँ दिखायी देती है । कोई योग का लक्ष “ आध्यात्मिक उन्नती " या आत्मसाक्षात्कार की प्राप्ति मानते है , तो कोई " मोक्ष " , " मुक्ति " या " कैवल्य " समझते है । आधुनिक समय में कुछ विद्वानों ने आध्यात्मिक स्तर पर व्यक्ति विकास ( Personality Development ) यही योग का लक्ष्य माना है। जब हम व्यक्ति विकास की बात करते है तब शारीरिक , मानसिक , बौध्दिक , नैतिक , सामाजिक इ . प्रमुख घटक उसमें आते है । इन सब घटकों का विकास योग से अभिप्रेत है। 

योग का व्यावहारिक तथा शैक्षणिक दृष्टिसे विचार करनेवाले निम्न प्रकार से योग के लक्ष्य को स्पष्ट करते हैं जैसे - 

Yoga Education is not only physical culture but it is actualy a subconsious education to integrate the personality on spiritual Values . 

योग केवल शारीरिक व्यायाम नही बल्की अवचेतन ऐसी मानसिक क्रियाएँ है , जो आध्यामिक स्तर पर व्यक्ति विकास करता है । 

आधुनिक युग में योग का लक्ष्य निम्न प्रकार से उचित तथा आदर्शमय लगता है :-

The Aim of yoga is to establish harmony , balance , integration of personality at all possible levels e . Physical , Mental , Social , Intellectual , Emotional and Spiritual. 

शारीरिक , मानसिक , सामाजिक , बौध्दिक , भावनात्मक एवं आध्यत्मिक इन व्यक्ति विकास के प्रमुख घटकों में सुसंवाद स्थापित करना , संतुलन या एकात्मता लाने का योग का लक्ष्य है। योग व्यक्ति का सर्वांगी स्तर पर विकास लाने का एक महत्वपूर्ण शास्त्र हैं।


उद्देश ( Objectives )

(०१) अध्यात्मिक उन्नति या आत्मज्ञान की प्राप्ति ( Spiritual Development or Self - Realization ) :-

मै कौन हूँ ?

मेरा अपने प्रति , अपने परिवार के प्रति , अपने समाज के प्रति , राष्ट्र के प्रति क्या कर्तव्य है ? इन के प्रति सजग होना , रहना इ . बातों का विचार करने के लिये हमें योग प्रवृत्त करता है । ज्ञानयोग , कर्मयोग , भक्तियोग , अष्टांग योग इ . योग के प्रकार उस दृष्टि से मार्गदर्शन करते हैं । अपने जीवन को निर्धारित लक्ष्य की ओर ले जाने के लिये योग सहायता करता हैं। 

खुद की वास्तविकता का बोध कराने के लिए योग अभ्यास एक अद्भुत कुंजी है। इसमें  बताए गए क्रियाओं का गुरु के बताये गये उपदेश के अनुसार अभ्यास करने पर व्यक्ति आत्मज्ञान प्राप्त कर सकता है और जीवन को धन्य बना सकते हैं।

वर्तमान कि भागभरी हमारी जिंदगी में हमने अपने आप को कहीं और पिछे छोड़ दिया है, हम माया के मोह में ग्रस्त हैं ऐसे इस संसार रूपी सागर में से मुक्त होने के लिए योग एक मात्र साधन है इसलिए हमें अपने जीवन को यथार्थ बनाने के लिए योग को अपनाना चाहिए। 


(०२) संस्कृति का संवर्धन :-

योग भारतीय संस्कृति की विश्व को देन है । 

योग ने भारतीय संस्कृति के मूल्यों को , आदर्शों को सारे विश्व में पहुँचाने का कार्य किया है । 

वर्तमान समय में योग प्रणाली के प्रचार एवं प्रसार से हम विश्व को शान्ति प्रदान कर सकते है । तथा हमारी आगामी पिढ़ी इस योग संस्कृति के माध्यम से भौतिक और आध्यात्मिक उँचाइयों को प्राप्त करने में सफल हो सकेगी । 


(०३ ) मानवी सम्बन्धों का विकास :-

सुखी और प्रसन्न जीवन के लिये दूसरों के प्रति अच्छा व्यवहार , समर्पण भाव , आदर , नम्रता , सहयोग एवं सहनशिलता इ . गुणों का विकास व्यक्ति में होना जरूरी है । यह गुण अष्टांग योग के यम , नियम , धारना , ध्यान और भक्तियोग इ . से हमें मिलते हैं ।

जब हम हररोज योग करेंगे तब धीरे-धीरे हमारे जीवन में परिवर्तन आता जायेगा और हमारे में सद्गुणों कि वृद्धि होंगी। 


(०४) स्वास्थ्य के प्रति सजगता :-

स्वास्थ्य क्या है ? 

स्वास्थ्य बनाये रखने के लिये कौनसा , कितना , कब , कैसे आहार लेना चाहिये ? 

बूरी आदतों का किस प्रकार स्वास्थ्य पर प्रभाव पडता है ? 

आदि बातों के प्रति हम योगाभ्यास के माध्यम से जागृत रहते हैं ।


(०५ ) शारीरिक विकास :-

शरीरांतर्गत विभिन्न अवयवों के कार्य में समन्वय , मांसपेशियोंकी कार्यक्षमता , जोड़ों का लचीलापन , अंत : स्त्रावी ग्रंथी , मस्तिष्क , रक्ताभिसरण इ . अवयवों के कार्य में वृध्दि आसन , प्राणायाम , षट्कर्म , बन्धमुद्रा इ . योग प्रक्रियाओं से होती है ।


(०६ ) मानसिक विकास :-

विवेक , चिंतन , मनन , एकाग्रता , सोचना , निर्णय क्षमता , तर्क , मन : शांति , भावनात्मक संतुलन इत्यादी बातों का विकास आसन , प्राणायाम , ध्यान इ.से होता है । 


(०७) मनोकायिक व्याधियों पर नियंत्रण :-

गलत रहन - सहन तथा खानपान से और तनाव से निर्मित मनोकायिक व्याधियाँ जैसे कब्जियत , वायुविकार , संग्रहणी , अल्सर , मोटापा , रक्तचाप , हृदयरोग , मधुमेह , दमा , मानसिक अस्वस्थता , नैराश्य ( Depression ) , रीढ़ की व्याधियाँ , इत्यादि व्याधियों पर योगाभ्यास व्दारा काफी नियंत्रण लाया जा सकता है। 


(०८) खिलाडियों की शारीरिक क्षमता बढ़ाने और कायम रखने के लिए :-

  •  रुधिराभिसरण और श्वसन क्षमता ( Cardio - respiratory Capacity )
  •   लचिलापन ( Flexibility )
  •  शक्ति या ताकत ( Strength )
  •  सहनशक्ति ( Endurance ) बढ़ाने के लिये तथा बनाये रखने के लिये आसन , प्राणायाम , षट्कर्म इ . अनुसंधान के आधारपर अति उपयोगी सिध्द हुये हैं । खिलाडीयों की अवकाश कालिन ( Off Season ) शारीरिक क्षमता बनाये रखने के लिये भी योगाभ्यास उपयुक्त है ।


(०९) खिलाडियों की मानसिक तैयारी के लिए :-

अच्छे अच्छे खिलाडी स्पर्धा के समय मनोवैज्ञानिक दबाव ( Psychological pressure ) में आकर अपना संतुलन खो बैठते हैं । इसका प्रभाव उनके कौशल्य प्रदर्शन पर पड़ता है । योगाभ्यास से मानसिक दबाव को कम करके खिलाड़ियों का मानसिक एवं भावनिक संतुलन बना रखा जाता है ।


(१० ) क्रीड़ाघात ( Sport Injuries ) को कम करना तथा उन में सुधार लाना :-

खिलाड़ीयों को खेल के दौरान होनेवाली चोटे ( Injuries ) आसन में होनेवाले स्नायु के स्थायी खीचाव से ( Static muscle stretching ) कम की जा सकती है । 

उसी प्रकार से चाटों में सुधार ( Recovery or cure ) किया जा सकता है ।


(११ ) व्यावसायिक स्तर पर , आर्थिक निपुणता :-

योग शिक्षक एवं योग चिकित्सक को ( Yoga Teacher and Therapist ) योग केन्द्रों में , पाठशालाओं में , महाविद्यालयों में , कंपनीयों में , चिकित्सालयों में रोजगार मिल जाता है । महाराष्ट्र सरकार ने मानसिक चिकित्सालयों में ( Mental Hospitals ) योगचिकित्सोंकी नियुक्ती कियी हैं । अपने देश में अनेक शहरों में या विदेशों में हजारो निजी तौर पर योगोपचार केन्द्र तथा योग स्वास्थ्य केन्द्र संचालित किये जाते हैं । उनमें भी रोजगार मिल जाता है ।

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FAQ For Yoga

(01) क्या योग का लक्ष्य संसार से मुक्त होना है?

इस दुःख रूपी संसार सागर के चक्रव्यूह में से मुक्त होना ही योग का लक्ष्य है। कुछ विद्वानों इसे मोक्ष, कैवल्य, निर्वाण या मुक्ति कहकर संबोधित करते हैं।

(02) योग तो केवल आध्यात्मिक के लिए ही है?

नहीं, ऐसा बिल्कुल भी नहीं है। योग से व्यक्ति के सभी स्तर पर प्रभाव दिखाई देता है। The Aim of yoga is to establish harmony , balance , integration of personality at all possible levels e . Physical , Mental , Social , Intellectual , Emotional and Spiritual. 

(03)योग का उद्देश्य क्या है?

अध्यात्मिक उन्नति या आत्मज्ञान की प्राप्ति, 

संस्कृति का संवर्धन, शारीरिक विकास....